#कलम की ताकत औऱ परिवर्तन#
आज मुझे एक पोस्ट से ऐसा लिखने को विवश किया कि," उठा,अपना मोबाइल औऱ मन के विचारों तथा भीतर से गा ले गीत सच्चाई का।"
कहते है कि,
"जिस दिन फूटेगा भीतर से,गीत सच्चाई का।
बन जायेगा कीर्तिमान,नव मानव की ऊँचाई का।
आत्म दीप की एक किरण ने,जब-जब तम को ललकारा।
प्रकट हो गया सत्य धरा पर,वही ज्ञान की गंगा धारा।।"
सच्चाई का गीत जब भीतर से प्रस्फुटित होता है तो वह न जाने कितने लोगों के मन को तरंगित कर जाता है। विचार मन को सही राह दिखाता है। सच्चे और अच्छे विचारों से जीवन की दशा औऱ दिशा दोनों बदल जाती है।विश्व की जितनी क्रांतियां हुई है ,उसके पर्दे के पीछे देखेंगे तो उस देश के साहित्यकारों की कलम की ताकत है।कलम की ताकत तलवार की ताकत से बलशाली होती है।विश्व में ईसाई धर्म का प्रचार-प्रसार एक कलम की ताकत से ही हुआ है।जैन धर्म का जो सबसे सुंदर स्वरूप देख रहे हो ,वह उनके समृद्ध साहित्य के ही कारण है।उनके जितने तीर्थंकर या धर्म प्रवर्तक संत हुए है उन्होंने अपने साहित्य से धर्म को नई दिशा प्रदान की है।
सीरवी समाज का भी अपना एक पंथ है जिसे हम श्री आई पंथ के नाम से जानते है।यदि हम अपने पंथ को नई पहचान देना चाहते है तो अपना साहित्य समृद्ध करना होगा औऱ समाज के साहित्यकारों को बढ़ावा देना होगा।समाज का समृद्ध साहित्य समाज की दिशा औऱ दशा दोनो में परिवर्तन लाएगा।
सीरवी समाज के लोगो को अपनी सोच में सकारात्मक परिवर्तन लाना होगा,हम नकारात्मक दृष्टिकोण से समाज को बदल नही सकते है।हम अपनो के साथ चोट करने में तनिक भी संकोच नही करते है।हम किसी व्यक्ति विशेष की पृष्ठभूमि जाने बिना ही बहुत कुछ बया कर जाते है,हमारे में धैर्य नही है।हमारे में सगनशीलता नही है।हम अपनो के श्रेष्ठ औऱ अच्छे विचारों में भी कमियां ढूंढते है औऱ अनावश्यक टीका-टिप्पणी करने में जरा सी भी देर नही करते हैं। हमारा स्पष्ट मत है कि हम दूसरों की लकीर को छोटी करने में अपना समय जाया न कर,अपनी ओर से सार्थक प्रयास करे और अपनी कार्यशैली-विचारशैली से समाज को देने की सार्थक पहल करे।
मैं मेरे अंतर्मन के भावों को रख रहा हूँ कि,
"हम उनको क्यो धिक्कारे,
जो हमे नक्कारे।
अच्छा है कि हम अपनी कमियां स्वीकारे,
और प्यारी-सी जिंदगानी को सँवारे।।"
जब तक व्यक्ति अपना विश्लेषण नही करता है तब तक वह आगे नही बढ़ता है।आगे वही बढ़ता है जो अपनी कमियों को सच्चाई से स्वीकार करता है औऱ आत्मलोचन से उसमें सुधार करता है।हम उनमें से ही है।पूर्ण परम पिता परमेश्वर औऱ माँ श्री आईजी ही है,हम तो गलतियों के पुतले है।हम निरंतर सुधार कर आगे बढ़ रहे है।यही एक रास्ता है जो व्यक्ति को नर से नरोत्तम बनाता है।
हम सभी बुद्धिजीवी है ,अपनी बुद्धिमता से अपने मन के सकारात्मक विचारों को रखे और समाज को नई दिशा प्रदान करने में महत्ती भूमिका निभाए।
अपने भीतर की सच्चाई को आज की तकनीकी के साथ साझा करें औऱ समाज के बहुसंख्यक लोगो को सोचने के लिए विवश करे।कई लोग कहते है कि लिखने या बोलने से कुछ नही होता है।मेरा उनसे निवेदन है कि सुबह के अखबार जो आप औऱ हम पढ़ते है औऱ मीडिया जो बोलता है ,उनका असर क्या होता है?क्या आप नही जानते हो?सरकार की नीतियों के निर्धारण में औऱ उनके गलत फैसले को बदलने के लिए विवश कर जाता है।आपने हाल में ही में देखा है कि सोशल मीडिया की ताकत देखी है।
मेरा आप सभी बुद्धिजीवी से विनम्रता सु सादर निवेदन है कि सोशल मीडिया का समाजहित सर्वोत्तम उपयोग करे।भाषा की मर्यादा रखे,व्यक्तिगत टीका-टिप्पणी से अपने आपको दूर रखें।जितना हो सके सामाजिक समरसता औऱ एकता के लिए अपनी लेखनी को काम मे ले।हम छोटी-छोटी बातों से अपने आपको न उलझाए,हमे बहुत दूर तक जाना है।
मुझे पूर्ण विश्वास है कि आप सभी सीरवी समाज के सभी व्हाटसअप ग्रुप ,फेस बुक या मेल आईडी का उपयोग समाज के उत्थान-,कल्याण के लिए करेंगे औऱ बेमतलब,फालतू औऱ कॉपी पेस्ट संदेशों से अपने आपको दूर रखेंगे।सभी एक दूसरे के विचारों-भावनाओ में अपने विचार-भावनाएं समागम करते हुए,नई पहचान देंगे।जैसे दूध में मिश्री का समागम होता है,वैसा ही माधुर्य-मिठास हो,ऐसा हम सब एकात्मक रूप से कार्य कर समाज की बेहतरी के लिए प्रयास करेंगे।
ऐसी ही कामनाओं के साथ।
आपका अपना
हीराराम गेहलोत
संपादक
श्री आई ज्योति पत्रिका।