सीरवी समाज - ब्लॉग

आलेख:-सीरवी समाज की अच्छाइयां-सबसे जुदा । - प्रतिभागी - 7 -Padma Choudhary Junior Engineer Civil RRVUNL suratgarh
Posted By : Posted By seervi on 15 Sep 2019, 04:15:07

विचार मेरे विचारो में - आलेख - सीरवी समाज की अच्छाईया - सबसे जुदा सबसे अलग
मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है, जो अपने जीवन पर्यंत विभिन्न गतिविधियों में संलग्न रहता है, जैसे दैनिक क्रियाये, मेल-मिलाप, जीवन निर्वाह हेतु कृषि, रोजगार, व्यापार इत्यादि तथा माता पिता, पुत्र-पुत्री, भाई-बहिन आदि रूपों में समाज में रहकर अपने कर्तव्यों का निर्वाह करता है l समाज व् मानव दोनों का अस्तित्व एक दुसरे पर निर्भर करता है l सुख-दुःख मानव जीवन रूपी सिक्के के दो पहलु है, एक अच्छा समाज मानव को इन्ही सब उतार चढावो से उबारने में सहयोग करता है l संस्कृति, लोगो का मोलिकता से जुड़ाव, पारस्परिक सद्भावना, शिष्टता, आध्यात्म, सहायता, प्रवृति, सहजता, उदारता आदि एक अच्छे समाज की विशेषताए है तथा इन्ही सब विशेषताओं को समाहित करता सीरवी समाज आज अपनी अच्छाइयो के फलस्वरूप प्रगति के मार्ग पर अग्रसर है l
सीरवी समाज के इतिहास के अबरे में सभी जानते है प्रारम्भिक रूप में कृषक जाती के रूप में उभरा यह समाज आज विभिन्न क्षेत्रो जैसे शिक्षा, चिकित्सा, खेल, व्यापार, अभियांत्रिकी, सिविल सेवा आदि में अपना योगदान दे रहा है l समाज के लोग राजस्थान के अलावा गुजरात, गोवा, कर्णाटक, आन्ध्र प्रदेश, केरल आदि राज्यों में अपनी सेवाए दे रहे है l
आराध्य देवी श्री आई माताजी द्वारा दिए गए बेल के ग्यारह नियम सीरवी समाज की अच्छाइयो की आधारशीला है l जिस प्रकार आई माताजी के अखंड दिव्या ज्योति जलाकर धर्म का मार्ग बताया तथा समाज को प्रकाशमान किया, उसी प्रकार माताजी द्वारा बताये ग्यारह नियम जैसे नेक विचार रखना, अथिति का सम्मान, सर्वधर्म समभाव, दूसरी नारी को माँ का सम्मान, झूठ न बोलना, गुरु के मार्गदर्शन में चलना, दान की बहावना आदि बताकर सिर्फ सीरवी समाज का ही नहीं अपितु समस्त मानव जाती के उत्थान का मार्ग प्रशस्त किया है l
समाज की अच्छाईया जो सीरवी समाज को अलग पहचान देती है कुछ इस प्रकार है -
मेहनत :- वर्षो से अपनी मेहनत से धरती को सिंचित कर धरतीपुत्र के रूप में पहचान बनायी है l उसी मेहनत का ही परिणाम है की समाज के लोग कृषि के साथ साथ विभिन्न क्षेत्रो में अपना परचम लहरा रहे है l
इमानदारी :- इमानदारी इस कौम की वह विशेषता है जिसने व्यापार के क्षेत्र में समाज को बड़ी सफलता दिलाई है l व्यापारियों के साथ साख बनाने में सहजता तथा उसूलो पर अडीग रहने के कारण अन्य राज्यों में भी सीरवी समाज के लोग व्यापार में प्रवेश करने व् अपना परचम लहराने में सफल रहे है l
सर्वधर्म समभाव :- ससी माताजी द्वारा बताये गए सर्वधर्म समभाव के नियम दो सीरवी समाज ने बड़ी श्रध्हा से अनुसरण किया है उसी के फलस्वरूप सीरवी समाज के लोग अन्य जातियों के साथ बड़ी सरलता से घुल मिल जाते है l
सहायता प्रवृति :- समाज के बंधू सदेव सहायता के लिए तत्पर रहते है और इसी अच्छाई का परिणाम है की समाज के लोगो द्वारा सम्पूर्ण बहरत में समाज के लोगो की सहायतार्थ स्कूल, पुस्तकालय, धर्मशालाए, छात्रावास आदि सुविधाओं का विकास किया गया है l
सांस्कृतिक धरोहर की रक्षा :- संस्कृति को सहेजने से तथा सास्न्क्रतिक मूल्यों का आदर करने से ही समाज का अस्तित्व बना रहता है l इसी विशेषता के कारण ही सीरवी समाज की प्रष्ठभूमि बहुत ही पुरातन न होने पर भी यह समाज अपनी अलग पहचान बना रहा है l जैसे विवाह आदि उत्सवो में रीती रिवाजो का पालन, खान-पान, रहन-सहन माँ आईजी के अवतरण दिवस को पर्व की तरह मनाना, बीज उत्सव आदि संस्कृति को सहेजने व् और उन्नत रूप में लाने में सहयोग देते है l
सामाजिक समरसता :- अखिल भारतीय सीरवी महासभा, विभिन्न पत्रिकाओं का सम्पादन, रास्ट्रीय स्तरीय पुरूस्कार वितरण समारोह, खेलकूद उत्सव आदि सामाजिक संघठन के परिचायक है तथा इनमे सफल आयोजन समाज के लोगो की समरसता को प्रदर्शित करते है l
यदि समाज इसी तरह अच्छाइयो के मार्ग पर चलता रहा तथा अपनी प्रष्ठभूमि से सदैव जुदा रहा तो समाज का भविष्य समस्त विश्व को अच्छाई व् मैटिक मूल्यों का मार्ग दिखाएगा l
एक सफल समाज का परिचायक बन सीरवी समाज के लोगो को परिस्थितियों के अनुसार परिवर्तन को अपनाकर तथा नैतिक मूल्यों को आधार बनाकर अपना मार्ग तय करना होगा, इसी से ही विश्व का, भारत का, सभी समाजो का तथा मनुष्य का कल्याण संभव है l
मानसिक संकीर्णता को दूर कर एक सफल समाज का उदाहरण पेश कर साम्प्रदायिक सद्भावना से विचारो को परिपूर्ण करना होगा तथा ध्येय में वसुधेव कुटुम्बकम तथा सामाजिक बहावना को समाहित करना होगा l
"कोई भी हो परेशानी निकले समाधान, अच्छाई से प्रगति की और प्रस्थान, मिल जिल कर होगा समाज व् विश्व का उत्थान"

कृति - पदमा चौधरी