सीरवी समाज - ब्लॉग

सोशल मीडिया सीरवी सामाजिक विचारको का मंच
Posted By : Posted By seervi on 20 Aug 2019, 04:28:06

नमस्कार .. शुभ प्रभात ... मित्रो ... बंधुओ ... सदस्यों
सत्यम शिवम् सुन्दरम - सोशल मीडिया सीरवी सामाजिक विचारको का मंच

विगत कुछ हफ्तों से सोशल मीडिया पर विभिन्न माध्यमो पर प्रसारित सीरवी युवाओं की वार्ताओं, फेसबुक कमेंट और पोस्ट पर एक सरसरी निगाह डालने के पश्चात एक राय जेहन में उभरी है, आपके समक्ष पेश है -

कोई पांच छ: साल पहले की बात है, तब इन्टरनेट का विस्तार और स्मार्ट फोन की उपलब्धता इतनी व्यापक नहीं थी, बेल्लारी वाले राज राठोर के अनुसार तब ऑरकुट का ज़माना था, और मीडिया में सीरवी समाज के  पत्रकार के रूप में मंगल सेनचा का अपना एक प्रभाव था, सामयिक और समसामयिक घटनाओं और समाज के विभिन्न गुटों संघठनो संस्थाओं पर उनकी पेनी नजर रहती थी, उस समय सामान्य बाजार भी काफी तेज थे, आम आदमी के पास सोशल मीडिया के लिए समय भी नहीं था - मैं बात कर रहा हु उस समय की - जब फेसबुक और व्हाट्स अप्प पर विभिन्न तरह के अभिवादन और उस से जुड़े फोटो विडियो मेसेज का प्रसारण बहुतायत से लोग करते थे, सोशल मीडिया पर इक्की दुक्की जगह पर अपने सामाजिक विचारो को रखने वाले कुछ सीरवी  बंधू जैसे स्व. मंगल सेनचा, स्व. पी डी चौधरी, स्व. भंवरलाल चौधरी (मुग्गपेर, चेन्नई), राज राठोर (बेल्लारी), किशन सिंह राठौड़, सी ए किशोर चौधरी, अनीता चोयल, कैलाश मुकाती, विजय लक्ष्मी, चन्द्र सिंह, दिनेश चोयल, खेम सिंह, कानाराम चौधरी (कालापीपल), खींवाराम चौधरी (प्रधानाचार्य), दिनेश चौधरी (सिवास), आदि तकरीबन 150 से अधिक विचारको का ग्रुप समूह आपस में सामाजिक विषयो पर मतभेद होने के पश्चात भी तर्क वितर्क और कुतर्क के माध्यम से चर्चा करता था, लगभग सभी विषयो पर रोजाना चर्चा के माध्यम से देश काल दूरी परिस्थिति अनुरूप विचारो का स्वस्थ आदान प्रदान का माहोल था, सभी बातो की एक बात - धरातल पर कुछ नहीं करते सिर्फ चर्चा करते है का ठप्पा सोशल मीडिया के नवागंतुक विचारको द्वारा अक्सर सुनायी देता था, तब यकायक ही एक सामाजिक मदद करने के लिए सभी का साथ मिला और यह भावना प्रबल हुई की संघठित रूप से चाहे दूर ही बैठे बैठे हम समाज के लिए कुछ कर सकते है, लेकिन चूँकि इस बाबत भी एक समस्या यही रही की प्रवास मैं बैठे अधिकतम बंधुओ की यही धारणा थी की उनके गृह राज्य में उनके घरो के गाँवों में समस्या अधीन की जानकारी ना तो मिल पाती है ना ही ऐसा कोई चेनल है जहा से यह कार्य किया जा सकता है,
तब सभी की निगाहें मेरे ऊपर समाई, चूँकि मैं भी एक व्यवस्था का हिस्सा था, एवं साधन संसाधनों की तत्कालीन कमी की वजह से मैंने निर्णय लिया की सत्यम शिवम् सुन्दरम मंच कभी कोई संस्था या संघठन में तब्दील नहीं होगा, यह शुद्ध रूप से विचारक समूह ही रहेगा आज भी यह समूह विचारको का समूह है और चर्चा के माध्यम से समाज की सामयिक विषयो पर चर्चा करता है सभी अपने विचार प्रस्तुत करते है l

इसी समूह के मैसूर से गुदड़ राम काग और चेन्नई से सुरेश सीरवी सिन्दड़ा अपनी स्व प्रेरणा से समाज हेतु सार्वजनिक कार्य के उधेश्य को अपना कर अपने विचारो को सोशल मीडिया के द्वारा नए नए जुड़ रहे सीरवी  समाज के युवाओं और लोगो के संपर्क में अपने विचारो को धरातल पर उतारने का प्रयत्न करने में जुटे, श्री आईजी सीरवी विकास समिति शुद्ध रूप से गुदड़ राम काग मैसूर के द्वारा प्रतिपादित विचारो पर बनी एवं गुदड़ जी ने इस हेतु अपना सर्वोत्तम प्रयास भी किया, आज समिति अपने प्रारूप में सीरवी  समाज के भामाशाह राम लाल जी सेनचा के नेतृत्व में सर्वोत्तम कार्य कर रही है, इसी तरह से ऑनलाइन मीडिया के द्वारा समाचारों पर विशेष रूचि होने के नाते सुरेश सीरवी सिन्दड़ा ने भी अपने प्रयासों को सीरवी  समाज सम्पूर्ण भारत नाम से फेसबुक पेज से शुरुआत कर सीरवी समाज डॉट कॉम के अधूरेपन को संज्ञान लेते हुए सीरवी समाज सम्पूर्ण भारत डॉट कॉम की रचना अपने समानांतर विचारो के युवा साथियो के माध्यम से की, नए नए प्रयोग से होते हुए आज सोशल मीडिया पर दोनों ने अपने अपने मुकामो को आगे बढाते रहने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी l सीरवी ज्ञान कोष नाम से किया जा रहा सामाजिकता का प्रयास असल में मेरे सर के ऊपर से ही शुरू हुआ और संचालित है किन्तु इस बाबत कोई जानकारी मेरे पास नहीं है, सिर्फ इतना पता है की यह प्रयास बहुत ही शांत विवेकपूर्ण और समग्र सोच के साथ कर्म ही पूजा है के सिधान्तो से संचालित हो रहा है एवं अपने कार्य के द्वारा शिक्षा लक्ष्य को सामजिकता का चोला ओढ़ाए बिना ही संकल्पित तरीके से साधने की और अग्रसर है l

वर्तमान में तर्क वितर्क कुतर्क के नव सृजित सीरवी सामाजिक विचारको में नए सदस्यों का आगमन हुआ है, राजनेतिक तौर पर एंग्री यंग मेन की भाषा शैली में इन युवाओं ने भी सोशल मीडिया को अपने विचार व्यक्त करने के साधन से परिपूर्ण करने की मंशा के तौर पर समय देना प्रारम्भ किया है, मैं यह नहीं कहता की एक और संस्था या संघठन का प्रादुर्भाव होने वाला है, लेकिन इतना जरुर महसूस कर सकता हु, की युवाओं का एक जखीरा हमारे बुजुर्गो की तरह भागो में बटने वाले मंदिरों बढेर और सामुदायिक संघठनो संस्थाओं की तरह मतभेद मनभेद की आड़ से होते हुए नए युग की रचना कर रहे है, अभी तक के क्रम से सोशल मीडिया विचारो की अभिव्यक्ति का एक शशक्त केंद्र बन कर उभरा है, जहा बिना स्मार्ट फोन और इन्टरनेट की जानकारी वाली पीढ़ी के लिए कोई काम नहीं है, किन्तु सूचनाओ से अपडेट रहने के केंद्र की पहुच सभी जगह व्यापक है l

वर्तमान समय में देखा जा रहा है की सोशल मीडिया पर अभद्र असंयमित शब्दों और छींटाकसी प्रयुक्त शब्दावली युवाओं का शगल बनता जा रहा है, पूर्व में भी सीरवी समाज में अलग अलग मतान्तर रहे है, इसे तत्कालीन युवाओं ने सीरवी नवयुवक मंडल और उसके द्वारा किये गए कार्यो जैसे सीरवी  सन्देश पत्रिका, सीरवी छात्रावास, आदि के माध्यम से सामजिक भावना के फैलाव मत के द्वारा अंजाम दिया, लेकिन तब एक दुसरे के मतों के प्रति आदर बहाव सम्मान और संयामितता थी, यह भी है की तत्कालीन समय में अभिव्यक्ति के मंचो का अभाव था, लेकिन फिर भी मतों के अंतर ने समाज में दो अलग अलग सोच की नीव राखी जो आज भी विधमान है, समय बीतता गया - शुरुआत करने वाले समय के साथ व्यस्त होतेगए अपनी जिंदगी में, और बहुत से प्रयास धुल खाती किताबो की तरह दफ़न हो गए या अतिक्रमण कर लिए गए l

समय बड़ा बलवान है, हम जीतनी शिद्धत और सोच के साथ कार्य प्रारम्भ करते है अंजाम तक पहुचने की प्रक्रिया उतनी ही विरल होती जाती है l जब कुछ होता है तो कुछ होने के लिए ही होता है - वर्त्तमान समय में कुछ बेहद महत्वपूर्ण निर्णय समाज के लोगो द्वारा लिए जा रहे है कुछ निर्णय विवादित भी है, और बहुत से निर्णय अनिर्णीत भी है, इनके निर्णयों के रचनाकार अपना समय धन बल इसे समाज का कार्य समझकर दे रहे है - या तो यह सफल ताम का सफ़र तय करेंगे या किसी अन्य निर्णय के प्रादुर्भाव का कारण बनेंगे, लेकिन कुछ होने के लिए कुछ होना आवश्यक है की निति के तहत समाज में बहुतायत से सामाजिकता के बहाव पैदा होंगे इसमें कोई दो राय नहीं है l
हो सकता है अभी आर्थिक मंदी है, समय की प्रचुरता में उपलब्धता है, इसलिए वैचारिक व्यावहारिकता बढ़ रही है, हो सकता है कल समय की कमी एक वीराना सा फिर इक्थियार कर ले -

विचार का सार यही है की - सोशल मीडिया पर अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता ने वर्तमान को बहुत प्रभावित किया है, आजादी के बाद की हमारी एक युवा पीढ़ी के प्रयासों ने आज लगभग दम तौड़ दिया है, जैसे सीरवी सन्देश, प्रतिभा सम्मान, छात्रावास आदि - क्यूंकि प्रासंगिकता में इन प्रयासों के वजूद के मायने बदल गए - जैसे प्रिंट मीडिया की जगह सोशल मीडिया ने ले ली, छात्रावास के शहरों की शिक्षा के उच्चतम केन्द्रों में तब्दीली, प्रतिभाओं के सम्मान ने अथितियो के सम्मान की जगह ले ली आदि आदि
नयी पीढ़ी ने अभी तक तीन प्रयास शुरू किये है -
संचार : सीरवी समाज सम्पूर्ण भारत डॉट कॉम
सहयोग : श्री आईजी सीरवी क्षत्रिय सेवा समिति
शिक्षा : सीरवी ज्ञान कोष

इसके अलावा सीरवी नवयुवक मंडल बिलाडा के पूर्व उल्लेखित प्रयास जैसे शिक्षा सहायता कोष, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य , खेलकूद आदि एक व्यवस्थित और समग्र सोच के अभाव में मंद पड़ते नजर आ रहे है ...

फिर भी आशा अमर धन है, नया युवा बल और प्रयास करेगे, ऐसा सोचना ज्यादा श्रेयस्कर है, जल्द ही एक नया प्रयास एंग्री यंग मेन की भूमिका वाले सोशल मीडिया पर असंयमित अभद्र विचारक सामने लायेंगे .. ऐसा मुझे तो पूर्ण विश्वाश है ..