।।मेरा समाज ,मेरा गौरव।।
सीरवी समाज की उत्पत्ति जिस मूल शब्द "सीर" से हुई है।वह अपने आपमे सब बया कर जाता है कि समाज के लोगों के दिलों में कैसी भावनाए है?समाज की सोच कैसी है?सीरवी समाज अपने प्रारम्भिक काल से जिस विराट सहृदयता को लेकर आगे बढ़ा, आज भी वे भावनाएं हमे दिखाई देती है।एक दूसरे का सहयोग करना औऱ ईमानदारी से साथ देना,किसी के साथ धोखा न करना यह अपने आपमे बड़ी बातें है।यही सीरवी समाज जिसे अधिकांश लोग चौधरी भी कहते है।अन्य जातियां सब हमारे समाज के बारे में किसी मौके या आपस के मेल-मिलाप में कहते है कि,"चौधरी समुन्दर बाकी सब नाडा"इसका भाव यह है कि सीरवियों का दिल बड़ा है,यहां हर कोई खट सकता है।जिस प्रकार समुन्दर अपनी विशाल सहृदयता के लिए जाना जाता है,उसमें गहराई होती है।वैसी ही विशाल सहृदयता औऱ गहराई सीरवियों में देखने को मिलती है।
हम तो कहते है कि,
"जिस समाज मे जन्मे है हम,वह हमारे लिए बड़ा है।
अहो,देखो समाजहित करने के लिए कितना कर्मक्षेत्र पड़ा है।"
हम सभी सीरवी समाज की उन तमाम अच्छाइयों पर नजर दौड़ाए जिनके बारे में आप चिंतन करे तो मन को बड़ा सुकून मिलता हो।सीरवी समाज की ऐसी बहुत सी विशेषताएं है जिन पर हम सबको गर्व होता है।
सीरवी समाज के लोग बड़े शांतिप्रिय है।जहां भी रहते है वे शांति तथा भाई चारे के साथ अपना जीवन जीते है।
सीरवी समाज के लोग सहयोगी प्रवृति के होते है,वे औरों को अपना सहयोग बढ-चढकर करते है।दुसरो के सुख-दुख में सच्चे मानवतावादी दृष्टिकोण के साथ योगदान करते है।सीरवी समाज किसी के साथ व्यवसायिक साझा करते है तो पूर्ण ईमानदारी रखते है,किसी प्रकार का धोखा नही देते है।यह अनुपातिक परिणाम सबसे अच्छा है।सीरवी समाज के लोगो में देने का भाव अधिक है अर्थात त्याग,अर्पण औऱ निष्काम सेवा भावना अधिकांश लोगों में है।आज मारवाड़ के गाँवों में जो योगदान देख रहे हो,उसके पीछे सीरवियों की महत्ती भूमिका है।गांवों में स्कूल निर्माण,गौ-शाला निर्माण,पानी की टंकी,मंदिर इत्यादि का निर्माण सब बया कर जाता है।सीरवी समाज के लोगो मे जो जीवन जीने की पद्धति है वह सरल है।समाज के लोग किसी प्रकार का अहंकार नही करते है।आज भी समाज मे प्राचीन सामाजिक प्रतिमान औऱ आदर्श मानक मूल्य दिखाई देते है।यह सही है कि समाज के प्रतिमानों औऱ आदर्श मूल्यों पर हाल ही में चोट हो रही है फिर भी मुझे विश्वास है कि समाज अपने प्राचीन मानक प्रतिमानों औऱ आदर्श मूल्यों को अक्षुण्ण रखने में सफल हो जाएगा।
उक्त बिंदुओं से मुझे अपनी समाज पर बड़ा नाज है।
आइये,आप और हम नव सीरवी समाज की परिकल्पना को साकार रूप प्रदान कराने में महत्ती भूमिका निभाए।
हम तो कहते है कि,
"समाज को संवार दो,उचित अपने कर्म करो।
परिणाम को त्याग दो,सुसम्मति से अपने कर्म करो।।"
सीरवी समाज की सामाजिक समरसता और एकता के लिए हम सब सकारात्मकता से योगदान करे औऱ समाज का नव उत्थान-कल्याण करे।
सीरवी एकता जिंदाबाद।
हर घर हो खुशियों से आबाद।।
जय माँ श्री आईजी सा।
द्वारा:-
हीराराम गेहलोत
संपादक
श्री आई ज्योति पत्रिका।