ना अब और नहीं युवा पीढ़ी
घूम रहा है युवा नशे में...
पागलपन सा छाया है...
मदहोशी में उसके लिए ना कोई अपना ना कोई पराया...
शराब, तम्बाकू, गुटखे ने उसके मन पर काबू पाया है...
आज नशे की प्रवृत्ति ने मैला समाज...ना जाने क्यों नहीं हो रहा है लोगो को इनका एहसास...
जो था कल का उजाला...नशे में उसका जीवन अंधकार में कर डाला है...
शराब तो एक बहाना हो गया...
घर वालों से छुपकर धुँवा उड़ाना हो गया है...
अब ना जाने कोन युवा को समझाये...
यू ही इनका जीवन अंधकार में ...
ना जाने क्यों इस नशे की प्रवृत्ति को समाज ने अपनाया...
2 मिनट के मजे के लिए जीवन है बर्बाद कराया...
माता पिता ने पैसे दिए सोचा उज्ज्वल रहेंगे...
उनको क्या पता कि पेप्सी की जगह शराब पियेंगे...
युवावों ने नशे में सपनों का महल ढ़हाया...
लेकर कर्ज उसने गिरवी अपना मकान रखवाया...
शोक शौक में सिरगेट का धुँवा उड़ाया...
मण्डली में अपनी धाक जमाने धुँवा फिर से उड़ाया...
मीठे जहर की बोतल ने....
घर परिवार को पर सड़क पर लाया है...
होश में आया जब मानव तो अपना शरीर ही खोया...
अभी सम्बल जा ए मानव तू...
ये शौक नहीं बर्बादी है...बर्बादी हैं..!
नितिन परिहार पुत्र चुतराराम जी
बेरा आसन की भडेट जेलवा बिलाड़ा
बीए बीएड
वर्तमान आरएएस अध्ययन्तर