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*राजस्थान की पारंपरिक वेशभूषा महिलाओं की ।।
Posted By : 04 May 2022, दुर्गाराम पंवार

*राजस्थान की पारंपरिक वेशभूषा महिलाओं की*

महिलाओं के लिए पारंपरिक राजस्थानी कपड़े काफी सभ्य, सुंदर और आरामदायक होते हैं। यहां की महिलाएं पारंपरिक घागरा, चोली और ओढ़नी (दुपट्टा)ल पहनती हैं। महिलाओं के ये कपड़े चटक रंग के होते हैं, जिनमें गोटा (बॉर्डर) लगा होता है। अपने से बड़ों के सामने और बाहरी लोगों के आगे महिलाएं घूंघट निकाल कर रखती हैं।

राजस्थान की पारंपरिक पोशाक असाधारण रूप से जीवंत है, जो लोगों की भावना और क्षेत्र की संस्कृति को दर्शाती है। राजस्थान के लोगों द्वारा पहने जाने वाले कपड़े जलवायु और स्थितियों में ध्यान में रखते हुए बनाए गए हैं। इन रेगिस्तानी लोगों की पारंपरिक पोशाक और आभूषण उनके लिए मात्र आभूषण नहीं हैं। पगड़ी, कपड़े, आभूषण और यहां तक ​​कि जूते सहित सिर से पैर तक सब कुछ राजस्थान की आबादी की पहचान, धर्म और आर्थिक और सामाजिक स्थिति स्थापित करता है।
महिलाओं के लिए राजस्थान की पारंपरिक पोशाक
महिलाओं के लिए राजस्थान की पारंपरिक पोशाक में घाघरा-चोली और ओढ़नी शामिल हैं।

घाघरा: ज्यादातर राजस्थानी महिलाएं घाघरा पहनती हैं, जो एक लंबी स्कर्ट होती है जो एक पतली कमर तक टखने तक पहुंचती है जो चौड़ाई में बढ़ जाती है और आधार की ओर बढ़ जाती है। घाघरा में चौड़ाई और भूखंडों की संख्या को किसी व्यक्ति के धन का प्रतीक कहा जाता है।

ओढनी: ओढनी राजस्थान की पारंपरिक पोशाक की एक विशेषता है। यह कपड़े का एक लंबा टुकड़ा होता है, जिसका ओढनी का एक कोना स्कर्ट में टक किया जाता है, जबकि दूसरा सिरा सिर और दाहिने कंधे पर लिया जाता है। ओढ़नी पर पाए जाने वाले रंग और रूप विशेष रूप से जाति, वेशभूषा और अवसर के प्रकार हैं। हिंदू महिलाएँ ओढ़नी पहनती हैं। पीले रंग की पृष्ठभूमि और लाल रंग का ‘लाल’ नामक एक केंद्रीय कमल की आकृति वाला एक ओडनी बेटे के जन्म पर अपनी बेटी को माता-पिता का एक पारंपरिक उपहार है।

आजकल, राजस्थानी महिलाओं की पारंपरिक पोशाक लगभग संक्रमण की स्थिति में है। महिलाओं को नए कपड़े, डिजाइन और सामान के लिए चयन कर रहे हैं। इसके लिए सभी महिलाओं को ध्यान देना होगा, हम धीरे धीरे हमारी पारंपरिक वेशभूषा, आभूषण सब भूल कर नए फैशन में लगे हुए हैं, ये चिंता का विषय है,हमे राजस्थानी कि संस्कृति, वेशभूषा, रहन सहन, खान पान आदि विषयों पर ध्यान देना होगा, नही तो आने वाले समय मे ये सब विलुप्त हो जाएगी।। जय श्री कृष्ण।जय श्री राम।। जय श्री आईजी।।
प्रस्तुति/ पूनम पंवार सोजत पाली