सीरवी समाज - मुख्य समाचार

स्व.श्री मास्टर किशनलाल जी चांदावत” मू.नि. पोलियावास, बिलाड़ा की 32 वीं पुण्य तिथि पर अमर आत्मा को “सीरवी समाज डॉट कॉम” परिवार की ओर से भावभीनी श्रद्धांजलि
Posted By : Seervi 13 May 2020, 12:27:41

हमारे समाज के शिक्षित, अनुभवी, सत्य-निष्ठा, ईमानदार तथा ऐतिहासिक क्रांतिकारी समाज सुधारक, कर्मठ किसान नेता, समाज रत्न, प्रखर वक्ता, यथार्थपरक, आत्मबोधक, दृढ संकल्पवान, कर्मठ कर्तव्यपरायण, सामाजिक हित चिंतनकर्ता, नारी शिक्षा के हिमायती, आध्यात्मक, दिव्य शिक्षा ज्योत एवं सह्रदयशील सर्व हिताय न्यायसंगत दूरगामी सोच के व्यक्तित्व के धनी युग पुरुष “स्व.श्री मास्टर किशनलाल जी चांदावत” मू.नि. पोलियावास, बिलाड़ा की 32 वीं पुण्य तिथि पर अमर आत्मा को “सीरवी समाज डॉट कॉम” परिवार की ओर से श्रद्धा सुमन अर्पित कर भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करते है।

समाज रतन युग पुरुष स्व. मास्टर किशनलाल जी


संक्षिप्त परिचय एवं इतिहास बींसवीं सदी में सीरवी समाज में क्रांतिकारी बदलाव लाने और समाज में नई सोच का आगाज करने वालों में मास्टर किशनलाल जी चाँदावत का नाम आज भी आदर से लिया जाता है।मास्टर किशन लाल जी चांदावत का जन्म 26 मार्च 1926 को एक साधारण किसान परिवार में हुआ था।उनके पिता पुरखाराम जी चाँदावत अपने जमाने के एक बहुत परिश्रमी किसान थे।गौरतलब है कि चाँदावत दीवान चौथोजी राठौड़ के भाई चाँदोजी के वंशज हैं।वर्तमान में चाँदावत परिवार के वंशज बिलाडा शहर के समीप स्थित पोलियावास बेरे पर निवास करते हैं।इस परिवार की एक शाखा बेरा-इकाली और दूसरी बेरा-सदारण पर निवास करती है जो कि बिलाड़ा क्षेत्र में ही स्तिथ है। मास्टर किशन लाल जी की प्रारंभिक शिक्षा उनके ननियाल ग्राम अटपडा में हुई।माध्यमिक शिक्षा हेतु उन्होंने बिलाडा बडेर परिसर में स्तिथ”सीरवी(खारड़िया)स्कूल की बोर्डिंग इकाई में दाखिला लिया।इस दौरान उन्होंने शिक्षा के प्रसार में रुचि दिखाई।तत्कालीन दीवान साहब श्री हरिसिंह जी ने सीरवी समाज में शिक्षा के प्रचार प्रसार हेतु समाज के हर घर से एक रुपये वार्षिक शुल्क का नियम लागू किया।उस दौर के समाज सेवी श्री गुमनारामजी पंवार की अगुवाई में सीरवी समाज में शिक्षा क्रांति की शुरुआत हुई। दीवान हरिसिंह जी द्वारा प्रारम्भ की गई शिक्षा क्रांति को आगे ले जाने में युवा मास्टर किशन लाल जी ने उल्लेखनीय योगदान दिया।हालाँकि पारिवारिक परिस्थितियों के कारण वह औपचारिक शिक्षा पूर्ण नही कर पाए मगर समाज में शिक्षा के प्रचार प्रसार में उन्होंने कोई कसर नही छोड़ी।उस दौर में उन्होंने घर घर जाकर युवाओं और बच्चों को पढ़ाई के लिए प्रेरित किया।आधारभूत सुविधाओं का आभाव भी उनके प्रयासों में बाधा नही बन सका।उन्होंने पेड़ की छाया में विद्यार्थियों को पढ़ाना शुरू किया।बिलाडा शहर के अंतर्गत आने वाली “पोलियावास माध्यमिक उच्च विद्यालय” उनके प्रयासों से ही वजूद में आया।गरीबी के कारण जब माँ-बाप अपने बच्चों को खेतों में मजदूरी के लिए अपने साथ ले जाते थे तब मास्टर किशन लाल ने उन्हें बच्चों को स्कूल भेजने के लिए प्रेरित किया।किशन लाल समाज में शिक्षा क्रांति लाने के लिए “मास्टर”के नाम से प्रसिद्ध हुए। उन्होंने केवल शिक्षा के क्षेत्र में ही नही बल्कि सीरवी समाज में व्याप्त रूढ़िवादी परम्पराओ के उन्मूलन में विशेष कार्य किया।उन्होंने 1958 में तत्कालीन बिलाडा सरपंच और महान समाज सेवी श्री तुलछाराम जी राठौड़ के साथ मिलकर “मौसर नही मौत है”नाम की पुस्तक का प्रकाशन किया।इस पुस्तक के लेखक उस समय के प्रसिद्ध राजस्थानी कवि किस्तूर चंद (पीपाड़ वाले)थे।उस दौर में सीरवी समाज में मृत्यु भोज की परंपरा प्रचलन में थी।इस परंपरा के कारण समाज में गरीबी थी।इस परंपरा को समाप्त करने के लिए मास्टर किशन लाल जी ने सफल अभियान चलाया और बहुत हद तक मृत्यु भोज(मौसर) परंपरा को रोकने में सफलता प्राप्त की। सीरवी जाती क़ा संबंध शरू से ही खेती बाड़ी से रहा है।सीरवी और किसान शब्द एक दूसरे के पर्याय थे।समाज के किसानों को उनकी उपज के उचित मूल्य दिलवाने और उनकी आर्थिक स्थित को सुदृढ करने के लिए मास्टर किशन लाल चांदावत ने संस्थाओं का विकास और विस्तार किया।सरकार द्वारा किसानों के विकास के लिए चलाई जा रही अनेक संस्थाओं में मास्टर किशन लाल ने अद्वितीय सेवाएं दी।बिलाडा ग्राम के किसानों की आर्थिक स्तिथ में सकारात्मक बदलाव लाने में उनका भरपूर योगदान रहा।समयनुसार कृषि तकनीक से किसानों को अवगत कराने के उद्देश्य से सहकारी संस्थाओं के माध्यम से किसानों के लिए “भारत भ्रमण” योजना को उन्होंने अमली जामा पहनाया। मास्टर किशन लाल चांदावत ने उस दौर में अनेक सरकारी और गैरसरकारी संस्थाओं में अपने सेवाएं दी और इन संस्थाओं का काया-कल्प कर इनको किसानों के स्वर्णगिन कास का इन्जन बनाया।इन संस्थाओं के नाम और उनके द्वारा सुशोभित पदों का विवरण निम्न दिया गया है। 1 बिलाडा सहकारी भूमी विकास बैंक अध्यक्ष-1959-1960 कोषाध्यक्ष-1963 से 1969 संचालक मंडल सदस्य-1972 से 1977 (2)बिलाडा वृहत बहुधंधी सहकारी समिति लिमिटेड पद-केंद्रीय सहकारी बैंक के प्रतिनिधि संचालक 1967-68 और 1973-1974 (3) बिलाडा मार्केटिंग कोपरेटिव सोसाइटी लिमिटेड पद-अध्यक्ष 1964 से 1968- 1972 से 1978 (4)कृषि उपज मंडी समिति-बिलाडा सदस्य-1973 से 1977 (5)दी जोधपुर केंद्रीय कॉपरेटिव बैंक लिमिटिड संचालक मंडल सदस्य-1968 से 1974 (6)पंचायत समिति-बिलाडा सहयोगी सदस्य-1965 से 1967-1972 से 1974 (7)कार्यालय-नगरपालिका बिलाडा,जिल्ला-जोधपुर वार्ड पंच-1950 से 1960 –1965 से 1974 नगरपालिका मंडल सदस्य- 1974 से 1977 उन्होंने ना केवल संस्थाओं का विकास किया बल्कि बिलाडा नगर के ढांचागत विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।उन्होंने सींणवा बेरे को एक कॉलोनी में तब्दील कर सड़क का निर्माण किया और इस रोड के निर्माण से बिलाडा ग्राम से नगर बन गया।बिलाडा से गुजरने वाली सींणवा रोड का वर्ष 1990 में स्वर्गीय मास्टर किशन लाल जी की द्वितीय पुण्यतिथि के अवसर पर तत्कालीन राजस्थान सरकार में कैबिनेट मंत्री दीवान माधव सिंह जी के करकमलों द्वारा “मास्टर किशन लाल मार्ग” नामांकरण किया गया। मास्टर किशन लाल जी चाँदावत ने राजनीति के क्षेत्र में अपनी अमिट छाप छोड़ी।मास्टर किशन लाल जी चाँदावत कांग्रेस की विकासशील विचारधारा से प्रभावित थे और राजस्थान काँग्रेस के कद्दावर नेता के रूप में जाने जाते थे।सन 1979 में जब तत्कालीन जनता पार्टि सरकार ने विपक्ष की नेता श्रीमती इंदिरा गांधी को गिरफ्तार किया तो इसके विरोध में देशभर में कांग्रेस पार्टी ने जेल भरो आन्दोलन शुरू किया।मास्टर किशन लाल जी ने तब इंद्रा गांधी की गिरफ्तारी के विरोध में बिलाडा में जेल भरो आंदोलन का नेतृत्व किया। मास्टर किशन लाल जी और उनकी धर्मपत्नी श्रीमती चुन्नी देवी के चार पुत्र श्री सुजान सिंह जी चांदावत,श्री रतन लाल जी चांदावत,श्री माधव सिंह जी चांदावत और श्री कल्याण सिंह जी चांदावत और दो सुपुत्रियाँ श्रीमती भंवरी देवी और श्रीमती मिश्री देवी है। मास्टर श्री किशन लाल जी चांदावत का 62 वर्ष की आयु में लंबी बीमारी के बाद 13 मई 1988 को जयपुर स्तिथ सवाई मानसिंह अस्पताल में देहांत हो गया।इस प्रकार समाज में उजाला फहलाने वाला एक चिराग हमेशा के लिए बुझ गया।आज स्वर्गीय मास्टर किशन लाल जी भले ही हमारे बीच नही है मगर उनके द्वारा समाज में किये गए क्रांतिकारी कार्यो से वह हमेशा चिरस्मरणीय रहेंगे।