सीरवी समाज - मुख्य समाचार
Posted By : Posted By Mangal Senacha on 11 Oct 2011, 10:05:58
खीर बनाकर रातभर चांदनी में रखकर प्रात:काल खाने का है विधान
इसी दिन हुई थी वृंदावन में महारास की सृष्टि, कोजोगर पूर्णिमा व्रत के रूप में भी है प्रसिद्ध
सोजत, वर्षा ऋतु बीत जाने के बाद अब शरद ऋतु में आसमान स्वच्छ व सुंदर हो गया है। न ज्यादा गर्मी पड़ रही है, न ज्यादा सदी है। पौ फटते घास, पेड़-पौधे से लेकर हर ओर जैसे मोती के समान ओस कण बिछ जा रहे हैं। इसी क्रम में आज (मंगलवार) की रात शरद पूर्णिमा आसमान से अमृत की वर्षा होगी। मान्यता के अनुसार लोग दिन में खीर बनाकर रातभर धवल चांदनी में रख देंगे। उसे अगले दिन प्रात:काल में प्रसाद स्वरूप खाने का विधान है। बताते हैं इसी दिन भगवान श्रीकृष्ण व राधा ने वृंदावन में महारास की सृष्टि की थी, जिससे इसे रास पूर्णिमा भी कहा जाता है। इसी क्रम में इसे कोजोगर पूर्णिमा भी कहते हैं।
मारवाड़ जंक्शन. कस्बे के श्री सत्यनारायण मंदिर के प्रागंण में शरद पूर्णिमा के अवसर पर रामचरितमानस का पाठ मंगलवार को सुबह 6.21 बजे से किया जाएगा।
भ्रमण करती हैं भगवती लक्ष्मी
मान्यता के अनुसार शरद ऋतु में आश्विन माह की पूर्णिमा की रात भगवती लक्ष्मी धरती पर भ्रमण करती हैं। वे देखती हैं कि उनके स्वागत करने के लिए कौन तैयार है। इस बार भी क्षेत्र में जगह-जगह उनके स्वागत में रात्रि जागरण, स्मरण, पूजन-संकीर्तन आदि आयोजन किए जा रहे हैं। भगवती को शोर शराबे से चिढ़ है। इसी तरह स्त्रियों पर अत्याचार होने वाले घर में भी वह नहीं टिकती हैं। श्रद्धालु इस बार भी परंपरागत रूप से लक्ष्मी मंत्र का अधिकाधिक जाप या श्रीसुक्त की पाठ की तैयारी में हैं।
साभार - दैनिक भास्कर