सीरवी समाज

सीरवी समाज डॉट कॉम टीम


राजू सीरवी
(संस्थापक)

जितेन्द्र सिंह

दुर्गाराम सीरवी पंवार

गोविन्द सिंह

सीरवी समाज के धर्मगुरु


धर्मगुरु माधवसिंह दीवान

दीवान साहब श्री माधव सिंह जी

संवाद - विचारो की दुनिया


आज की ज्वलंत समस्या विवाह एक विचारणीय प्रशन : सीरवी

मेरे प्यारे भाइयों एवं बहनों सादर जय श्री आई माताजी की। बंधुओं आज मेरे ही दिमाग में नहीं किन्तु समाज के 90 प्रतिशत बंधुओं के दिमाग में एक ही प्रशन आता है कि हमारे बच्चों के विवाह के लिए किसी को बच्चे की तो किसी को बच्ची की आवश्यकता है। आज के लगभग 60 वर्ष पूर्व का समय देखे जब हमारे माँ-बाप से कितनी ही बार यह कहते हुए सूना है कि हमारी सगाई हुई थी जब मैं लगभग 15 वर्ष का था एवं तेरी माँ 13 वर्ष की थी उसके बाद हम लोगों की शादी हुई तो हमारी उम्र 18 से 21 वर्ष की हुई। अब शादी की बात करते है तो यह उम्र बढ़कर 28 से 30 वर्ष के ऊप


Posted By Govind Singh Panvar पूरा पढ़े

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"seervisamaj.com" ( सीरवी समाज डॉट कोम) पुरी दुनिया के सीरवी समाज को आपस मे जोड़ने के रुप मे स्वयं का मंच प्रदान करने वाला एक मात्र विश्वसनीय संगठन है जो समाज की एकता , समस्त संगठनों की योजक कड़ी तथा सभी रजिस्टर्ड संस्थाओं को बढावा देने को ध्यान मे रखकर स्वाभीमानी,संगठित,अनुशासित,व कर्मठ कार्यकर्ताओ के बल पर कार्यरत है ओर राष्ट्रीय द्रष्टीकोण के साथ शिक्षा के विकास , समाज सुधार व विकास के नए आयाम की सोच रखने वाले विद्वानों द्वारा बताए मार्ग पर चलते हुए सम्पूर्ण सीरवी समाज को आपस मे जोड़ना ही हमारा मुख्य उद्देश्य है। हमारी टीम पूर्ण लोकतांत्रिक पद्धति से कार्यरत रहते हुए आपने लक्ष्य की ओर अग्रसर है।

सीरवी समाज का संक्षिप्त परिचय

सीरवी एक क्षत्रिय कृषक जाति हैं. जो आज से लगभग 800 वर्ष पुर्व राजपूतों से अलग होकर राजस्थान के मारवाड़ व गौडवाड़ क्षेत्र में रह रही थी. कालान्तर के बाद यह लोग मेवाड़, मालवा, निम्हाड़ व देश के अन्य क्षेत्र में फेल गयें. वर्तमान में सीरवी समाज के लोग राजस्थान के अलवा मध्यप्रदेश , गुजरात , महाराष्ट्र , गोवा , कर्नाटक , आध्रप्रदेश , तमिलनाडु , केरल , दिल्ली , हिमाचल प्रदेश , दमन दीव , पांण्डिचेरी व देश के अन्य क्षैत्र में बड़ी संख्या में रह रहे हैं.

सीरवी समाज के इतिहास का बहुत कम प्रमाण उपलब्ध हैं. इतिहास के जानकार स्व. मास्टर श्री शिवसिंहजी चोयल भावी ( जिला जोधपुर ) वालों ने अपने सीमित सोधनों में जो कुछ भी तथ्य जुटाये उनके आधार पर खारड़िया राजपूतों का शासन जालोर पर था व राजा कान्हड़देव चौहान वंशीय थे उन्ही के वंश 24 गौत्रीय खारड़िया सीरवी कहलाये. सीरवियों के गौत्र इस प्रकार हैं. 1. राठौड़ 2. सोलंकी 3. गहलोत 4. पंवार 5. काग 6. बर्फा 7. देवड़ा 8. चोयल 9. भायल 10. सैणचा 11. आगलेचा 12. पड़ियार 13. हाम्बड़ 14. सिन्दड़ा 15. चौहान 16. खण्डाला 17. सातपुरा 18. मोगरेचा 19. पड़ियारिया 20. लचेटा 21. भूंभाड़िया 22. चावड़िया 23. मुलेवा 24. सेपटा. अधिकतर सीरवी आईमाता के अनुवयी हैं. श्री आईमाता का मंदिर राजस्थान के बिलाड़ा कस्बा में हैं.

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निवेदनः :

आप सभी सीरवी भाईयों से निवेदन है कि आप अपने-अपने सुझाव भेजकर इस वेब साईट को मजबूत बनायें ताकि आपसी सम्पर्क मे उपयोंग ले सके। आप सभी से निवेदन है। कि आप अपने-अपने क्षेत्र की संस्थाओ की पूरी जानकारी seervi@yahoo.com Whats app : 9461442562 को भेजें, या आप कोरियर द्वारा भी भेज सकते हैं। मुझे पूरी आशा है कि आप सभी लोग समाज को अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर जोड़ने मे हमारी सहायता करेगे।